
ख्वाहिशों के समंदर में गोता लगा ले तू,
सपनो को ना छोड़, कदमों को आगे बढ़ा ले तू ,
ख़ुश होने के मौके ना तलाश,
हर मौसम में मुस्कुरा ले तू !
हर बीज पेड़ ही बने ,क्यूँ ऐसी उम्मीदें ही बस पाले तू,
क्यूँ हर घड़ी, बस नाकामयाबीयों की ख़ाक छाने तू !
क्यूँ नहीं, अपनी कामयाबीयों की तरफ एक दृष्टी डाले तू ,
क्यूँ बेवजह ही, दुनिया भर के ग़मों को, अपने छोटे से दिल में पाले तू!
सुन सके तो सुन मेरी बात, बहुत छोटी है ज़िन्दगी,
हो सके तो गम को छोड़, खुशियों से इसे सजा ले तू !
ख्वाहिशें होगी तेरी पूरी सभी ,बस थोडा सा यकीं- खुद में जगा ले तू ,
बस एक दफा,ख्वाहिशों के समंदर में गोता लगा ले तू!
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