Monday, August 2, 2010

क्या कहता है एक नन्हा तारा
















एक
तारे ने कहा मुझसे ,मैं धरती से बहुत स्नेह करता हूँ ,
मैं धरती कि सुन्दरता को, अपनी आँखों में सदा भरता हूँ !

कितनी प्यारी नदियाँ, कितने प्यारे उपवन हैं ,
फूल हैं रंग बिरंगे, तितलियाँ कितनी सुंदर हैं !

मैं तो एक नन्हा सा तारा हूँ ,
पर
अपने चमन का प्यारा हूँ ,
सभी
कि आँखों का राज दुलारा हूँ !

पर मेरी आँखों का भी, है एक सपना प्यारा ,
मैं भी देखूं धरती का सुंदर नज़ारा!

पर सोचता हूँ तो डर जाता हूँ,
कि
- क्या मिलेगा धरती पर भी मुझे ऐसा ही परिसर प्यारा?
या टूट कर बिखर जाऊँगा में सारा!

मैं तो रोशनी करता हूँ ,रात के अंधेरें को हरता हूँ,
लेकिन
ये सच है, कि धरती पर आने से कहीं डरता हूँ !
मैं यहाँ अपने अस्तित्व को खोने से डरता हूँ ,
अपनों से अलग होने से डरता हूँ !

इसीलिए शायद, मैं धरती कि सैर सिर्फ सपनो में ही किया करता हूँ !!

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