Friday, July 30, 2010

बेशकीमती है लकड़ी !

लकड़ी का क्या मोल,क्या ये जान सका है कोई,
है ये कितनी अनमोल, क्या ये जान सका है कोई !

वो लकड़ी है - जो जनम से लेकर मृत्यु तक देती है साथ -2

पालना बनकर बचपन में झुलाती है लकड़ी
अर्थी का रूप धारण कर बुढापे में अपने पास बुलाती है लकड़ी !

घर- घर में काम आती है लकड़ी, इसकी उम्र बहुत है तगड़ी,
भूखे के घर में, चूल्हा जलाने के काम आती है लकड़ी,
अमीरों के घर में, सज्जा की वास्तु बन जाती है लकड़ी,

कई बार जनम लेती है लकड़ी,
कभी शादी के तो कभी बर्बादी के काम आती है लकड़ी!

उम्र भर साथ देती है लकड़ी ,
कोई कैसे चुकायेगा मोल इसका,
इसलिए तो बेशकीमती कही जाती है लकड़ी !!

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