
बेटियाँ हाँ बेटियाँ ,होती बड़ी ही प्यारी हैं,सभी अपने घरों की, होतीं राजदुलारी हैं,यही है सीता ,यही है दुर्गा,समाज की शक्ति सारी है!इनका इतिहास सदियों से बहुत भारी है ,बेटियाँ हर युग में सम्मान की अधिकारी हैं,बेटियाँ अभिमान हैं अपनी माता का,और पिता की शक्ति सारी हैं !इनको करना नज़रंदाज़, समाज की भूल बड़ी भारी हैं ,ले लो चाहे कोई उदाहरण,हर मोड़ पर बेटियों ने अपनी एक अनमित छाप छोड़ी है,किरन बेदी से लेकर आज सान्या मिर्ज़ा तक ने,देश के मान बढाने में क्या कोई कसर छोड़ी है!यूँ तो बेटियाँ हर क्षेत्र में आगे हैं बढ़ रहीं,भारत में ही क्या आज ये सारे संसार में हीरा सा जड़ रही!इनकी रौशनी की चमक होती नहीं कम,आगे बढ़ने की और अब चल पड़े है नन्हें कदम,सच यही है की, बेटियां हर समाज का है एक हिस्सा अहम् !!***GIRLS ARE ANGELS SAVE THEM***
लकड़ी का क्या मोल,क्या ये जान सका है कोई,है ये कितनी अनमोल, क्या ये जान सका है कोई !वो लकड़ी है - जो जनम से लेकर मृत्यु तक देती है साथ -2पालना बनकर बचपन में झुलाती है लकड़ीअर्थी का रूप धारण कर बुढापे में अपने पास बुलाती है लकड़ी !घर- घर में काम आती है लकड़ी, इसकी उम्र बहुत है तगड़ी,भूखे के घर में, चूल्हा जलाने के काम आती है लकड़ी,अमीरों के घर में, सज्जा की वास्तु बन जाती है लकड़ी,कई बार जनम लेती है लकड़ी,कभी शादी के तो कभी बर्बादी के काम आती है लकड़ी!उम्र भर साथ देती है लकड़ी ,कोई कैसे चुकायेगा मोल इसका,
इसलिए तो बेशकीमती कही जाती है लकड़ी !!
कविता चीज़ क्या है ,आज तक समझ पाई नहीं मैं,मगर जब इसका आभास हुआ,कि कविता व्यक्ति की वो भावनाएँ हैं,जो उसके मन को हमेशा उद्वेलित करती रहती हैं!तो सच मानो उन अनुभूतियों के तले,में भी दबती ही चली गई , तब मैंने अपने मन की गहराइयों में हो रहे,तो द्वन्द युद्ध का शांतिपूर्वक विचरण किया ,मुझे एक अभूतपूर्व आभास हुआ,और मेरे मन ने कहा की लिख दूँ ,कहीं इन सभी भावनाओं को !तो बस क्या था मन की गहराइयों ने,दिमाग का साथ दिया और हाथो ने,कागज़ पर कुछ लिखने के लिए,कलम का साथ दिया !उसी क्षण मेरी सभी भावनाओं ने ,उस कागज़ पर लिखित रूप ले लिया,और देखते ही देखते एक सुंदर,कविता ने अपना रूप ले लिया!उसी दिन से मेरी ये दुविधा,समाप्त हो गई की- कविता चीज़ क्या है-2